उत्तर भारत, पूर्वोत्तर में मौसम का प्रकोप: स्कूल बंद, गाँव प्रभावित
सितंबर के तीसरे हफ्ते में उत्तराखंड, हिमाचल, असम, बिहार जैसे राज्यों में मानसून के आखिरी दौर ने जबरदस्त तबाही मचाई है। देहरादून, मंडी, पटना और गुवाहाटी जैसे शहरों में कई दिनों से भारी बारिश हो रही है, जिसकी वजह से सैकड़ों गाँव डूब गए हैं और स्कूल, कॉलेज, प्रशासनिक दफ्तर बंद रखने के आदेश जारी हुए हैं। देहरादून के सहस्त्रधारा में बादल फटने से एक ही रात में कई कारें बह गईं और दर्जनों घर/दुकानें मलबे में दब गईं। पुरी, अल्मोड़ा, बागेश्वर और उधम सिंह नगर में ऑरेंज अलर्ट जारी है; सैकड़ों लोग सुरक्षित ठिकानों पर शिफ्ट किए गए हैं।
मौसमी हालात और अलर्ट
IMD (मौसम विभाग) ने चेताया है कि उत्तराखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और पूर्वोत्तर के जिलों में अगले दो दिन में कहीं‑कहीं 200 मिमी तक बारिश हो सकती है — यानी अचानक बाढ़ और भूस्खलन का जोखिम अभी खत्म नहीं हुआ। हिमाचल में मंडी, सिरमौर, कुल्लू, कांगड़ा जिलों में बीते 24 घंटे में 100+ मिमी बारिश दर्ज हुई, जबकि असम के बोंगाईगांव, कोकराझार व खासी हिल्स और बिहार के पश्चिमी/पश्चिम चंपारण में स्कूलों को अलर्ट के तहत बंद रखने का निर्देश दिया गया है। देहरादून में 15 लोगों की मौत और 16 लापता, हिमाचल में इस मानसून में कुल 232 लोगों की जान गई है। बिहार में कोसी, गंडक, और बागमती का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है—कई गाँव कटाव/बाढ़ से पूरी तरह टूट चुके हैं।
प्रभावित गाँव, स्कूल बंद और राहत कार्य

सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तराखंड में 500+ गाँव और हिमाचल में मंडी व कुल्लू जैसे जिले बुरी तरह बाढ़ की मार झेल रहे हैं। असम‑बिहार के कई जिलों में रेस्क्यू ऑपरेशन; सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित और ऑन‑ग्राउंड राहत कैंप शुरू। स्कूल बंद होने से ऑनलाइन कक्षाएं भी ठप हैं, जबकि कई जगह आंगनबाड़ी व हेल्थ सेंटर भी पूरी तरह बंद हो गए हैं। सड़कों के कटाव और बिजली‑पानी के संकट के साथ प्रशासन ने सहायता‑टीमें और मेडिकल किट्स तैनात की हैं।
प्रशासन राय
- “अचानक बाढ़, भारी बारिश और भूस्खलन ने गांव‑शहर दोनों की लाइफ पूरी तरह बदल दी है। बच्चों की सेफ्टी के लिए हमने स्कूल बंद करने का फैसला लिया है।”
- “राहत साफ है: तत्काल शेल्टर, फूड पैकेट्स और हेल्थ टीम गाँव‑गाँव भेजी जा रही है।”
- “रंगीन अलर्ट के साथ मौसम विभाग लगातार अपडेट दे रहा है—लोग प्रशासन का सहयोग करें, अफवाहों से बचें।”
Quick Review
- “लगातार भारी बारिश ने उत्तराखंड, हिमाचल, बिहार, असम में सैकड़ों गाँव डुबा दिए—स्कूल बंद, जनजीवन बुरी तरह प्रभावित।”
- “IMD के मुताबिक अगले 2 दिन तक और तेज बारिश हो सकती है—सभी प्रशासनिक मोर्चे पर राहत कार्य जारी हैं।”
- “नेशनल हाइवे, गाँव की सड़कें और ब्रिज कई जगह बह गए; लोग शेल्टर में शिफ्ट, बच्चे/बुजुर्गों की सुरक्षा का विशेष ध्यान।”
- “हिमाचल में अब तक मानसून में 232 मौतें—मंडी सबसे अधिक प्रभावित; असम/बिहार के कई गाँव पूरी तरह कट गए।”
- “सरकारी राहत टीमों ने हेल्थ, फूड और रेस्क्यू सपोर्ट तैनात किया, लेकिन स्कूल बंद से बच्चों की पढ़ाई भी मुश्किल में।”
- “अगले कुछ दिन खतरा कायम—सभी से शांत और सुरक्षित रहने की अपील।”
Timeline (वर्ष/तारीख सहित)
- जून–सितंबर 2025: हिमाचल‑उत्तराखंड मानसून सीज़न; 232 से ज्यादा मौतें, हजारों करोड़ का नुकसान।
- 15–17 सितंबर 2025: देहरादून, मंडी में बादल फटने/भारी बारिश; 500+ गाँव बाढ़ की चपेट में।
- 16–18 सितंबर 2025: असम‑बिहार में NDRF/SDRF रेस्क्यू, कई स्कूल बंद; कोसी, गंडक, ब्रह्मपुत्र का जलस्तर बढ़ा।
- 17–18 सितंबर 2025: IMD के रंगीन अलर्ट; पुनर्वास, मेडिकल और फूड सप्लाई जारी।
- 19–20 सितंबर 2025: बाढ़‑भूस्खलन का खतरा जारी; राहत/मॉनिटरिंग टीमों के अपडेट्स।
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FAQ
प्रश्न: किन राज्यों में स्कूल बंद किए गए?
उत्तर: उत्तराखंड, हिमाचल, असम, बिहार के प्रभावित जिलों में स्कूल/कॉलेज बंद हैं।
प्रश्न: बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके कौन‑से हैं?
उत्तर: देहरादून, मंडी (हिमाचल), असम के बोंगाईगांव, कोकराझार, बिहार के पश्चिम चंपारण, पुरी और आसपास के गाँव।
प्रश्न: प्रशासन ने क्या राहत कदम उठाए?
उत्तर: रेस्क्यू टीम, शेल्टर, मेडिकल सप्लाई, फूड पैकेट्स और सेफ्टी मोनिटरिंग तेज़ की गई है।
प्रश्न: अगले 2–3 दिन क्या संभावना?
उत्तर: IMD ने और भारी बारिश का अपडेट जारी किया है—जलस्तर बढ़ सकता है, बाढ़‑भूस्खलन का खतरा रहेगा।
Official External Links (URLs — केवल यहाँ)
- IMD (Rain/Alert): https://mausam.imd.gov.in/
- राज्य आपदा प्रबंधन: https://sdma.uk.gov.in/, https://himachal.nic.in/
- NDRF: https://ndrf.gov.in/
मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)
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