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Patanjali vs Dabur विज्ञापन विवाद: Delhi HC का ताजा फैसला क्या बदलेगा FMCG बाजार में?

Patanjali vs Dabur विज्ञापन विवाद: Delhi HC का ताजा फैसला क्या बदलेगा FMCG बाजार में?

अगर आप FMCG प्रोडक्ट्स खरीदते हैं या ब्रांड्स की मार्केटिंग में इंटरेस्ट रखते हैं तो ये खबर आपके लिए काफी मायने रखती है। Patanjali और Dabur के बीच chyawanprash विज्ञापनों को लेकर कोर्ट में चल रहा विवाद अब नई दिशा ले रहा है, जहां Delhi High Court ने कुछ लाइनों को हरी झंडी दी है लेकिन कुछ को सख्ती से रोक दिया है। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा तेज हो सकती है और आपके घरेलू बजट पर भी असर पड़ सकता है।

विवाद की पूरी डिटेल: कोर्ट में क्या हुआ

यह केस Patanjali के उन विज्ञापनों पर है जहां उन्होंने chyawanprash को ‘ordinary’ बताकर और ‘made with 40 herbs’ का क्लेम करके Dabur के प्रोडक्ट पर इशारा किया था। Dabur ने इसे disparaging और misleading बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी। Delhi High Court की डिवीजन बेंच ने 22-23 सितंबर की सुनवाई में फैसला दिया कि ‘why settle for ordinary chyawanprash’ वाली लाइन इस्तेमाल हो सकती है, लेकिन ’40 herbs’ वाला हिस्सा हटाना होगा क्योंकि यह एक खास ब्रांड को टारगेट करता लगता है।

इससे पहले जुलाई में सिंगल जज ने Patanjali को कुछ लाइनों को हटाने का आदेश दिया था, जिसे Patanjali ने अपील में चैलेंज किया। बेंच ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा कि विज्ञापन संशोधन के बाद चल सकते हैं, लेकिन बेवजह लंबी बहस पर लागत लगाने की चेतावनी भी दी। Dabur ने कोर्ट में अपना 60%+ मार्केट शेयर का हवाला दिया, जिससे केस की गंभीरता बढ़ गई।

यह फैसला FMCG इंडस्ट्री के लिए एक उदाहरण है कि comparative ads ठीक हैं, लेकिन वे भ्रामक या किसी को नीचा दिखाने वाले नहीं होने चाहिए। अब Patanjali को अपने TV, print और डिजिटल ads में बदलाव करने होंगे, जो जल्द ही बाजार में दिखाई देंगे।

खरीदारी और परिवार के बजट पर असर

इस तरह के विवाद से उपभोक्ता अक्सर कन्फ्यूज हो जाते हैं और खरीद फैसले बदलते हैं—जैसे chyawanprash जैसा हेल्थ प्रोडक्ट खरीदते समय लोग अब ज्यादा रिसर्च करेंगे, जिससे परिवार का मंथली बजट प्रभावित हो सकता है क्योंकि वे महंगे लेकिन ‘ट्रस्टेड’ ऑप्शन चुन सकते हैं।

त्योहार सीजन में bulk buying बढ़ती है, और ऐसे में ads के बदलाव से कीमतों में उतार-चढ़ाव आ सकता है—Dabur जैसे बड़े ब्रांड प्रमोशंस बढ़ा सकते हैं, जबकि Patanjali को नए मैसेज के साथ मार्केट कैप्चर करना होगा। इससे छोटे रिटेलर्स का स्टॉक मैनेजमेंट भी मुश्किल हो सकता है।

कुल मिलाकर, कोर्ट का फैसला consumer clarity बढ़ाएगा, जिससे परिवार स्मार्ट खरीद करेंगे और अनावश्यक खर्च से बचेंगे, लेकिन शॉर्ट टर्म में ब्रांड स्विचिंग से बजट थोड़ा हिल सकता है।

बाज़ार और व्यापारियों का हाल

FMCG बाजार में यह विवाद प्रतिस्पर्धा को और तेज कर रहा है—रिटेलर्स और डिस्ट्रिब्यूटर्स mixed demand देख रहे हैं, जहां कुछ कस्टमर्स Patanjali के ‘स्वदेशी’ अपील पर टिके हैं, तो कुछ Dabur के established ट्रस्ट पर। कोर्ट के फैसले से ads ज्यादा factual होंगे, जिससे मार्केट शेयर में स्थिरता आएगी।

व्यापारियों के लिए shelf space और प्रमोशंस प्लानिंग आसान होगी, क्योंकि अब विज्ञापनों में विवादित लाइनों की जगह क्लियर मैसेज आएंगे। लेकिन अगर ऐसे केस बढ़े तो इंडस्ट्री में लागत बढ़ सकती है, जो अंत में कस्टमर कीमतों पर असर डालेगी।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह फैसला अन्य ब्रांड्स के लिए सबक है—marketing में तथ्य और पारदर्शिता रखो, वरना कानूनी झमेला मार्केट शेयर खा सकता है।

सोशल मीडिया पर ट्रेंड और प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर यह केस ट्रेंड कर रहा है—यूजर्स ‘swadeshi vs established’ डिबेट कर रहे हैं, जहां कई Patanjali को सपोर्ट करते हुए कह रहे कि ‘ordinary’ कहना ठीक है, जबकि Dabur फैंस इसे अनफेयर बताते हैं।

कई इन्फ्लुएंसर्स ने फैक्ट-चेक पोस्ट शेयर किए, जो वायरल हो रहे हैं। कुल मिलाकर, यह ट्रेंड consumer awareness बढ़ा रहा है।

“Court allows ‘why settle for ordinary chyawanprash’ but bars the ‘40 herbs’ reference; modified ads can run.”
— Reported via Bar & Bench/ET coverage

कानूनी मोर्चा: बड़ी तस्वीर

जुलाई 2025 में सिंगल-जज के इंटरिम ऑर्डर ने कुछ लाइनों को हटाने को कहा था; अब डिवीजन बेंच ने सीमित बदलाव के साथ ads की इजाजत देकर स्पष्ट टेस्ट सेट कर दिया—generic disparagement नहीं चलेगा।

कोर्ट “फ्रिवोलस अपील” पर लागत लगाने की चेतावनी देकर फास्ट-ट्रैक कम्प्लायंस की तरफ धकेल रहा है, ताकि बाजार में शोर कम हो और facts-based ads आगे आएं।

बड़ी तस्वीर में Supreme Court ने हाल में misleading medical ads केस बंद करते हुए AYUSH ads पर pre-approval स्टे भी हटाया—मतलब विज्ञापन चलेंगे, पर गलत दावों पर कानून तुरंत एक्ट करेगा।

QnA: आपके बड़े सवाल—सीधे जवाब

सवाल-जवाब

Q1: अभी कौन-सी लाइनें allowed हैं और कौन-सी नहीं?
A1: “why settle for ordinary chyawanprash” allowed है; “made with 40 herbs” और कुछ विवादित हिंदी लाइनें हटानी होंगी, फिर ads चल सकते हैं।

Q2: मेरे खरीद फैसलों पर क्या असर?
A2: ads अब ज्यादा factual होंगे, जिससे options compare करना आसान होगा; त्योहार सीजन में भी क्लियर मैसेजिंग से confusion कम रहेगा।

Q3: क्या कीमतें बदलेंगी?
A3: शॉर्ट टर्म में प्रमोशंस/डिस्काउंट्स से हलचल दिख सकती है, पर कोर्ट-क्लैरिटी से प्राइसिंग नॉर्मल होने की उम्मीद रहती है।

Q4: Dabur-Patanjali केस का इंडस्ट्री-लेवल मतलब क्या है?
A4: comparative ads संभव हैं, पर “misleading/disparaging” कंटेंट पर तुरंत रोक/संशोधन; बाकी ब्रांड्स के लिए भी यह एक कंप्लायंस बेंचमार्क है।

Q5: Dabur का मार्केट शेयर क्यों अहम फैक्टर है?
A5: Dabur ने कोर्ट में 60%+ chyawanprash शेयर का हवाला दिया—ऐसे में messaging का असर कैटेगरी-लेवल डिमांड पर पड़ सकता है।

Summary/Closing

Delhi High Court के ताज़ा निर्देशों ने ad-wording पर स्पष्ट लाल-रेखा खींच दी—‘ordinary’ तक ठीक, पर ‘40 herbs’ जैसा targeted इशारा नहीं—जिससे ब्रांड्स को साफ-सुथरे, तथ्य-आधारित मैसेज पर फोकस करना होगा।

उपभोक्ताओं के लिए सिग्नल भी साफ है—कम शोर, ज्यादा फैक्ट्स—ताकि हेल्थ-बास्केट में सही चुनाव हो और बजट पर अनचाहा दबाव न पड़े, जबकि बाजार के लिए यह एक कंप्लायंस-फर्स्ट मोमेंट है।

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