परिचय: फिर सुर्खियों में रूस-यूक्रेन युद्ध
रूस-यूक्रेन युद्ध एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में है। हाल ही में यूक्रेन ने रूस के तटीय शहर सोची में स्थित एक बड़े ऑयल डिपो (तेल भंडारण केंद्र) पर ड्रोन अटैक कर दिया, जिससे वहां भीषण आग लग गई। इस घटना ने न सिर्फ सैन्य हलकों बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक मंच तक हलचल मचा दी है। रूस के अंदर इतने बड़े पैमाने पर हमले का यह एक और उदाहरण है, जिससे युद्ध की गंभीरता और दोनों देशों की बदली हुई रणनीति स्पष्ट होती है।
रूसी शहर सोची पर हुआ हमला
शनिवार सुबह, रूस के काले सागर किनारे बसे सोची शहर के एक ऑयल डिपो में भीषण आग लग गई, जिसकी वजह यूक्रेनी ड्रोन हमला बताई जा रही है। रूसी स्थानीय प्रशासन के अनुसार,“ड्रोन हमले से टैंक फार्म में आग भड़क गई। अग्निशमन दल मौके पर तैनात कर दिए गए हैं और विस्तृत जांच जारी है।”
यूक्रेनी रणनीति में बदलाव: गहराई तक वार
यूक्रेन बीते कुछ महीनों से रूसी सीमा क्षेत्रों के साथ-साथ देश के मुख्य शहरों और महत्वपूर्ण स्थलों को भी निशाना बना रहा है। ड्रोन अटैक उसकी नई रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं—इनका उद्देश्य है रूस की सप्लाई चेन, ऊर्जा भंडारण और सैन्य इकाइयों को बाधित करना।
- इस हमले से संकेत मिलता है कि यूक्रेनी सैन्य नेतृत्व अब सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि रूस के भीतरी इलाकों में असरदार हमले कर सकता है।
- विशेषज्ञों के मुताबिक, बार-बार होने वाले ये ड्रोन हमले रूस को शक के दायरे में डालने और उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को परखने के लिए भी किए जा रहे हैं।
रसद व ऊर्जा केंद्रों पर बढ़ते हमले
सिर्फ सोची ही नहीं—बीते कुछ महीनों में रूस के कई ऑयल डिपो, एयरबेस और रेलवे यार्ड यूक्रेनी हमलों का शिकार बने हैं। इन हमलों का प्रभाव आर्थिक और प्रतीकात्मक, दोनों ही है:
- पेट्रोलियम भंडारण केंद्र प्रभावित होने से रूस में तेल एवं गैस की आपूर्ति बाधित हो सकती है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दामों पर भी इन घटनाओं का असर देखने को मिल सकता है।
- ऐसे जगहों पर भी हमला, जहाँ तक यूक्रेनी ड्रोन पहुंच सकते हैं, रूसी सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए चिंता का विषय है।
रूस की प्रतिक्रिया: सुरक्षा और जवाबी हमले
रूसी प्रशासन ने यूक्रेन के इस अभियान की कड़ी निंदा की है और दावा किया कि वे सभी प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं पुनर्निर्माण कार्य कर रहे हैं। साथ ही, ड्रोन सभ्भावित प्रक्षेपण बिंदुओं पर जवाबी कार्रवाई के संकेत भी दिए गए हैं। सोची जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन एवं ऊर्जा केंद्र पर हमला बताता है कि युद्ध अब केवल सीमा या डोनबास तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में लेता जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
- यूरोपीय यूनियन समेत कई पश्चिमी देशों ने यूक्रेन-रूस संघर्ष में ताजा घटनाक्रम पर चिंता जताई है और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
- अमेरिका और नाटो ने एक बार फिर रूस के ऊर्जा ढांचे पर हमलों को “युद्ध के दायरे का विस्तार” करार देते हुए बातचीत का माहौल बनाने की बात की है।
- वैश्विक बाजार में भी तेल के दामों में हल्की तेजी देखी जा रही है, क्योंकि रूस-यूक्रेन विवाद पूरी दुनिया को प्रभावित करता है।
युद्ध की वर्तमान स्थिति: क्या आगे होगा?
रूस-यूक्रेन युद्ध दो साल से ज्यादा से चला आ रहा है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में ड्रोन, मिसाइल और साइबर हमलों की तादाद नगण्य हो गई थी। सोची के ताजा हमले ने ये बता दिया है कि यूक्रेन ने “गहराई तक वार” (deep strike) रणनीति को और धार दी है।
दोनों देशों के लिए चुनौती
यह हमला दर्शाता है कि संघर्ष जल्द थमने वाला नहीं है। रूस के लिए अपनी ऊर्जा और सैन्य ठिकानों की सुरक्षा एक बड़ी प्राथमिकता बन गई है। वहीं, यूक्रेन लगातार यह जता रहा है कि वह सीमाओं तक सिमटा हुआ देश नहीं, बल्कि अपने विरोधी के केंद्र तक हमला कर सकने की क्षमता रखता है।
निष्कर्ष: बदलाव की आंच
यूक्रेन द्वारा रूस के सोची ऑयल डिपो पर किया गया यह ताजा हमला युद्ध की कायापलट दर्शाता है। आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय राजनीति, ऊर्जा बाजार, और दोनों देशों की आंतरिक स्थिति पर इस तरह के हमलों का असर और ज्यादा गहराता दिखाई दे सकता है। एक बात तो स्पष्ट है—युद्ध अब नए स्वरूप और नई रणनीतियों के साथ लंबा खिंचने वाला है।