भारत और चीन के रिश्तों में सबसे ज़्यादा तनाव जिस मुद्दे पर रहता है, वह है सीमा विवाद (Border Dispute)। लंबे समय से दोनों देशों के बीच तनाव और झड़पें होती रही हैं। अब चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) का भारत दौरा तय हुआ है और माना जा रहा है कि इस यात्रा का मुख्य एजेंडा LAC यानी Line of Actual Control पर बनी तनाव की स्थिति होगी।
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत ने अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंध मज़बूत किए हैं, वहीं चीन एशिया में प्रभुत्व बनाए रखने की लगातार कोशिश कर रहा है। सवाल यह है कि क्या इस बार बातचीत से सीमा विवाद का हल निकल पाएगा या सिर्फ़ कूटनीतिक तस्वीरें सामने आएंगी।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: सीमा पर क्यों है तनाव?
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद नया नहीं है।
- 1962 में हुई भारत-चीन युद्ध ने दोनों देशों के संबंधों में गहरी खाई पैदा कर दी।
- 1993 और 1996 में कुछ समझौते हुए ताकि LAC पर शांति रहे, लेकिन इन समझौतों का पूरी तरह पालन कभी नहीं हो पाया।
- 2020 में गलवान घाटी (Galwan Valley Clash) में दोनों देशों के सैनिकों की झड़प में कई शहीद हुए। यह घटना आज भी भारत-चीन रिश्तों की सबसे बड़ी काली छाया के रूप में देखी जाती है।
पिछले पाँच सालों में कई दौर की कमांडर-लेवल टॉक्स और डिप्लोमैटिक मीटिंग्स हुई हैं, लेकिन सीमा पर शांति सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित रही।
वांग यी की भारत यात्रा: मुख्य एजेंडा क्या होगा?
1. सीमा विवाद और LAC स्थिरता
भारत का रुख साफ रहा है — “बॉर्डर पर शांति होगी तो रिश्ते सामान्य होंगे।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर कई बार कह चुके हैं कि border peace is essential for normal relations।
- वांग यी इस बार भारत आकर भरोसा जगाने की कोशिश करेंगे कि चीन अपनी ओर से LAC पर स्थिति को स्थिर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- हालांकि चीन का व्यवहार अक्सर इसके विपरीत दिखता है।
2. आर्थिक रिश्ते
भारत और चीन के बीच व्यापार इतना तेज़ी से बढ़ा है कि विरोध के बावजूद चीन आज भी भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। 2024-25 में bilateral trade 135 बिलियन डॉलर के पार चला गया।
- भारत चाहता है कि Trade Deficit कम हो।
- वांग यी इस दौरे में शायद नए आर्थिक अवसरों की बात करेंगे लेकिन असली तनाव तो border issues पर है।
3. Indo-Pacific की रणनीति
भारत का अमेरिका और Quad देशों (US, Japan, Australia) से बढ़ता सहयोग चीन को असुरक्षा महसूस कराता है।
- वांग यी की यह यात्रा भारत को यह संदेश देने की कोशिश भी है कि चीन टकराव नहीं, बल्कि बातचीत चाहता है।
- हाँलाकि भारत अपनी Strategic Autonomy बनाए रखते हुए संतुलन रखेगा।
4. Multilateral Diplomacy
BRICS और SCO जैसे मंचों में भारत और चीन साथ काम करते हैं।
- वांग यी की यात्रा BRICS Summit (Nov 2025) से पहले का एक बड़ा कूटनीतिक कदम है।
- इसी दौरान दोनों देश global south और climate cooperation जैसे मुद्दों पर भी बात कर सकते हैं।
भारत के लिए क्या मायने रखता है यह दौरा?
भारत के लिए यह दौरा सिर्फ़ चीन से बातचीत भर नहीं, बल्कि अपनी foreign policy का परीक्षण भी है।
- अगर चीन border पर लचीलापन दिखाता है, तो यह भारत की जीत होगी।
- अगर चीन सिर्फ़ trade और BRICS की बातें करता है, तो मतलब साफ है कि बीजिंग असली मुद्दे पर अभी भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।
भारत सरकार पर जनता का दबाव भी है कि चीन से सख़्ती बरती जाए। गलवान के बाद भारतीय जनता का भरोसा चीन की नीयत पर नहीं है। इसलिए जयशंकर शायद इस बार और स्पष्ट बात रखें।

विशेषज्ञों की राय
कूटनीति के जानकार मानते हैं कि वांग यी की भारत यात्रा reset button हो सकती है, लेकिन इसकी सच्चाई LAC पर ज़मीन पर दिखेगी।
- कोई भी समझौता meaningful तभी होगा जब चीन अपनी सेनाओं को पीछे हटाए और infrastructure building बंद करे।
- बिना ground results के सिर्फ diplomatic statements मायने नहीं रखते।
निष्कर्ष
वांग यी की यह यात्रा सीमाओं पर फैली बर्फ तोड़ने की कोशिश है।
- अगर border पर trust और stability बनाने में थोड़ी भी प्रगति होती है, तो यह आने वाले समय में India-China relations के लिए turning point बन सकता है।
- लेकिन अगर यह दौरा सिर्फ़ photo-op और protocol तक सीमित रहा, तो भरोसे का deficit और गहरा जाएगा।
भारत और चीन भविष्य के एशिया की राजनीति और global economy के अहम किरदार हैं। इसीलिए दिल्ली में होने वाली यह बातचीत सिर्फ़ दो देशों की नहीं, पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है।
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Border Dispute: भारत-चीन रिश्तों की टाइमलाइन (1962–2025)
1962 – भारत-चीन युद्ध
- अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को लेकर लंबा युद्ध हुआ।
- चीन ने अक्साई चिन पर कब्ज़ा जमा लिया, और भारत-चीन रिश्तों में गहरी खाई पैदा हुई।
1993 – Border Peace Agreement
- दोनों देशों ने “Peace and Tranquility Agreement” पर हस्ताक्षर किए।
- LAC पर शांति बनाए रखने की प्रतिबद्धता दिखाई।
2013 – देपसांग विवाद
- लद्दाख में चीनी सैनिक भारत की सीमा में घुस आए।
- भारत ने कड़ी आपत्ति जताई, लेकिन चीन ने बुनियादी ढांचे पर काम तेज कर दिया।
2017 – डोकलाम संकट
- भूटान-तिब्बत-भारत “त्रि-जंक्शन” क्षेत्र में लगभग 73 दिन तक भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने रहीं।
- आखिरकार कूटनीति से समाधान निकाला गया, लेकिन अविश्वास बढ़ गया।
2020 – गलवान झड़प
- जून 2020 में गलवान घाटी में बड़ी झड़प हुई।
- भारत और चीन, दोनों तरफ़ सैनिक शहीद हुए।
- आधुनिक इतिहास में दोनों देशों की सबसे गंभीर झड़प थी।
2021–2023 – बातचीत के दौर
- कई स्तर पर Corps Commander Talks और Foreign Minister Meetings हुईं।
- Disengagement कुछ पॉइंट्स पर हुआ लेकिन LAC की स्थिति अब भी तनावपूर्ण रही।
2024 – Trade और Politics
- भारत ने चीन पर आर्थिक निर्भरता कम करने का प्रयास किया।
- कई चीनी ऐप्स बैन रहे, लेकिन Trade Volume 130 बिलियन डॉलर से ऊपर चला गया।
2025 – वांग यी का भारत दौरा
- लंबे समय के तनाव के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी का भारत दौरा तय।
- मुख्य एजेंडा: सीमा विवाद पर वार्ता, व्यापार संतुलन, और BRICS समिट की तैयारी।
FAQ Section: वांग यी का भारत दौरा और सीमा विवाद
1. वांग यी भारत क्यों आ रहे हैं?
चीन के विदेश मंत्री वांग यी अगस्त 2025 के आखिरी हफ्ते में भारत का दौरा करेंगे। इस यात्रा का मुख्य एजेंडा है भारत-चीन सीमा विवाद (LAC tensions) और साथ ही आर्थिक व कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करना।
2. क्या इस दौरे से सीमा विवाद खत्म हो जाएगा?
सीमा विवाद इतना पेचिदा है कि इसे मात्र एक मीटिंग से खत्म करना मुश्किल है। लेकिन यह यात्रा Confidence Building Measures (विश्वास बढ़ाने के कदम) जरूर ला सकती है और LAC पर तनाव कम करने की दिशा में योगदान दे सकती है।
3. गलवान झड़प के बाद से भारत-चीन रिश्ते कैसे हैं?
2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए थे। कई दौर की बातचीत के बावजूद LAC पर स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हुई। भारत का रुख साफ है कि सीमा पर शांति के बिना सामान्य रिश्ते असंभव हैं।
4. भारत और चीन का व्यापारिक संबंध कैसा है?
तनाव के बावजूद चीन आज भी भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। 2024-2025 में Bilateral Trade 135 बिलियन डॉलर से अधिक रहा। हालांकि भारत को Trade Deficit सबसे बड़ा मुद्दा मानता है।
5. क्या BRICS और SCO का भी जिक्र होगा इस दौरे में?
हाँ, माना जा रहा है कि वांग यी की यह यात्रा आने वाले BRICS Summit 2025 और SCO मीटिंग के संदर्भ में भी अहम होगी। दोनों देश इन मंचों पर multilateral cooperation को लेकर चर्चा करेंगे।
6. आम जनता इस दौरे को कैसे देख रही है?
भारतीय जनता में चीनी नीतियों को लेकर skepticism (संदेह) काफी गहरा है, खासकर गलवान झड़प के बाद। इसलिए आम जनता चाहती है कि सरकार कड़ा रुख अपनाए और सीमा विवाद को हल करने की ठोस कोशिश करे।
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